सुरेश मिनोचा




एमसीबी। विद्या की अधिष्ठात्री मां सरस्वती की पूजा-अर्चना के साथ बसंत पंचमी का पर्व सोमवार को धूमधाम से
मनाया गया। शहर से लेकर गांव तक की गलियों में सरस्वती पूजा की धूम देखी गई। खासकर शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की। पूजा अर्चना का यह कार्यक्रम सुबह से लेकर पूरे दिन तक चलता रहा।
इसी कड़ी में वंदना शिक्षा निकेतन इंग्लिश हायर सेकेंडरी स्कूल जनकपुर में भी बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर विद्यालय में मां सरस्वती की पूजा एवं हवन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर विद्यालय के बच्चे व शिक्षक पीले वस्त्रों के साथ सज-धज कर विद्यालय पहुंचे।
विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती नीरजा सिंह ने बसंत पंचमी का महत्व बच्चों को बताया वहीं दूसरी ओर छात्र-छात्राओ ने सामूहिक नृत्य, गायन, भाषण आदि कार्यक्रम में भाग लेकर इस शुभ दिन को सफल बनाया।
श्रीमती नीरजा सिंह ने इस अवसर पर बसंत पंचमी की महत्ता पर अपने विचार रखते हुए कहा की बसंत पंचमी के ही दिन भगवान ब्रह्मा ने मां सरस्वती की उत्पत्ति की थी, तभी से यह पर्व मां सरस्वती की आराधना का प्रमुख पर्व माना जाता है। इसलिए पूरे देश में बसंत पंचमी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि पुराणों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने मां सरस्वती को यह वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन सभी स्थानों में उनकी आराधना की जाएगी। इसके बाद से ही वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजन का विधान है। ऋग्वेद में वाणी की देवी मां सरस्वती का वर्णन देवी सरस्वती के रूप में परम चेतना, हमारी बुद्धि, प्रज्ञा और सभी मनोवृत्तियों का संरक्षण करती हैं। इसके अलावा जगत के प्रत्येक प्राणी की बुद्धि, विद्या और वाणी के रूप में देवी सरस्वती विराजमान हैं। उनके आशीर्वाद के बिना प्राणी अपने भावों और विचारों को व्यक्त नहीं कर सकता। मां सरस्वती को वाग्वादिनी, गायत्री, शारदा, कमला, हंसवाहिनी आदि नामों से भी जाना जाता है।