मनेन्द्रगढ -इस बार की गर्मियों की छुट्टियां बच्चों के लिए कुछ खास बन गई। लिटिल मिलेनियम व अलास्का पब्लिक स्कूल द्वारा आयोजित समर कैंप में बच्चों ने खूब मस्ती की, कुछ नया सीखा और अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया। इस 8 दिनों तक चलने वाले समर कैंप को आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य बच्चों में कौशल विकास की क्षमता को बढाना था। इसकी मदद से बच्चों ने अपने अंदर छिपी प्रतिभा को बेझिझक प्रस्तुत किया।

कैंप में हर दिन कुछ नया था। दिन की शुरुआत योग, व्यायाम और जुंबा डांस के साथ किया जाता था। इसके पश्चात बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के खेल और गतिविधियों का आयोजन किया गया था जैसे टारगेट थ्रो चैलेंज, ह्यूमन कोडिंग, स्नैक्स एंड लैडर, डाइस फिटनेस चैलेंज आदि मजेदार और शैक्षिक खेलों के साथ क्ले मॉडलिंग, पेपर क्राफ्ट, सेंसरी एक्टिविटीज, पॉट डेकोरेशन, बेस्ट यूस ऑफ़ वेस्ट, फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स आर्ट इत्यादि एक्टिविटीज बच्चों द्वारा कराई गई।

खेल और एक्टिविटीज के साथ-साथ एक दिन बच्चों के लिए मूवी शो भी आयोजित किया गया था। सभी बच्चों ने दिलचस्पी के साथ मूवी शो का आनंद लिया। सबसे खास बात यह रहेगी कि समर कैंप के अंतिम दिन बच्चों के साथ-साथ उनकी मम्मियों को नो फ्लैम कुकिंग एक्टिविटी के लिए आमंत्रित किया गया, जिसमें सभी मम्मियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। एक से एक स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जैसे कॉर्न और पीनट चार्ट, सैंडविच, झलमूरा, भेल, वेजिटेबल आर्ट, समर ड्रिंक पेस्ट्री, स्वीट डिशेज फ्रॉम ब्रेड इत्यादि। नो फ्लेम कुकिंग एक्टिविटी समाप्त होने के बाद सभी मम्मियों को उनकी प्रतिभा के प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहन पत्र देकर सम्मानित किया गया। इसके साथ-साथ सभी बच्चों को सर्टिफिकेट, गिफ्ट और उनके समर कैंप के क्राफ्ट दिए गए।

बच्चों के अभिभावकों ने इस समर कैंप को मजेदार, कुछ नया सीखने योग्य और यादगार अनुभव बताया। अंत में स्कूल के संचालक मोहम्मद फिरोज ने बच्चों को बधाई देते हुए कहा कि हर बच्चा अपने आप में खास है। ऐसे कैंप उनके भीतर की चमक को बाहर लाते हैं।

कार्यक्रम की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्कूल के संचालक मोहम्मद फिरोज और उनकी सहायक टीम इलियास खान, स्मृति गुप्ता, निशि विश्वकर्मा, रोहिणी फर्कसे, नेहा यादव, तेजस्विनी नामदेव, तस्लीम बानो, अनामिका आईन्द, नंदिनी विश्वकर्मा, खुशी गुप्ता, श्रद्धा साव, आयशा खान, सना परवीन एवं सहायक कर्मी उमा तिवारी, शांति और सुशीला का योगदान रहा।